जिंदगी में ऊचायिओं को छूने का जज्बा तुम रखो ,
जिंदगी में कुछ कर गुजरने की तमन्ना तुम रखो ।
ना सर झुकाना ,
ना गिडगिडाना ,
सिर्फ़ आगे ही बढ़ते ही जाना।
जिस दिशा में एक बार कदम बढ़ा दिए तुमने,
उस दिशा में प्राप्त कर फतह ही लौटना होगा तुम्हें।
चाहे पथ पर चलते हुए पैर दुखते रहें,
लेकिन तुम न रुकना उस पल जिससे दीप जलते रहें ।
दीपक की भांति प्रज्जवलित रहना होगा तुम्हें,
अंधकार को स्वतः ही समाप्त करना होगा तुम्हें।
दुनियावालों को दिखाना होगा तुम्हें,
कि दुनिया जीती जाती है कर्मों से, भला भाग्य से कहाँ।
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