Tuesday, February 17, 2009

जन्मदिन की शुभकामनाएं

जब से आप यहाँ नहीं,
मायूसी सी छा गई।

हरपल आपकी याद,
दिल को सताती रही।

आपके साथ की हुई लड़ाई,
आज भी मन को भाई।

मम्मी थी हैरान, करते थे परेशान,
मिल बाँट कर खा जाते थे सुनी हुई सारी डांट ।

एक कान से सुन लेते थे , दुसरे में न जाती,
मिलते थे एक बार फिर करते खींचातानी ।

मम्मी कहती रहो अलग-अलग,
पर दो घंटे बाद होते एक-दुसरे के समक्ष।

जब भी कुछ टूटा ,हो गए एक,
बात बीतते ही एक के हो गए टुकड़े अनेक।

आपकी सरदार की लीला ,
लगती थी एक क्रीड़ा ,
होती थी थोड़ी पीड़ा ,
जुददे के फेर में फंसता था मुझ जैसा एक अनोखा कीड़ा।

अब तो बस इन्हीं बातों को याद करते रहता हूँ ,
इन्हीं यादों के संग दिल को संजोये रखता हूँ।

आपको जन्मदिन का उपहार तो न भेज सका,
बस इन्हीं चंद यादों का पैगाम बिछा सका।

बस यही दुआ करता हूँ,
आप जहाँ भी रहो, जहाँ भी जाओ,
खुशियों का समंदर समेटे हुए पाओ।

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