दो देश द्वेष में भिड गए,
लाशों का ढेर कर गए।
कहीं था बवंडर तो कहीं थी आंधी ,
बस यूहीं चल रही थी दो देशों की कहानी ।
पर तभी आया एक भूचाल , मच गया तूफान,
तबाही का मंजर , समाया दिल के अन्दर।
पाकिस्तान ने कश्मीर को तबाह करने की ठानी,
पर पड़ी उसे भारतवासियों से मुँह की खानी।
पाकिस्तान के एक हिस्से ने किया कश्मीर पर वार,
पर भारत के हर हिस्से में गूंज गई आवाज।
पाकिस्तान ने जवाब दिया एक बार फिर हाहाकारी से,
पर हिंदुस्तान ने किया नतमस्तक एक बार फिर दिलदारी से।
बहुत समझाया , बहुत चेताया ,पर पड़ी थी उन्हें कश्मीर की
अंत में निर्णय लिया "जैसा को तैसा" देने की।
अरे! कश्मीर तो हमारी मोहब्बत है, चाहत है, जन्नत है,
दिलों में बसा हुआ संसार है ,
अरे! हमारी भारतमाता का मस्तक है,
जिस दिन यह मस्तक अलग हुआ , संपूर्ण शरीर समाप्त हुआ ।।।
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